Saurabh Patel

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लेखनी प्रतियोगिता -19-Jun-2022इश्क के बुलबुले



हाय ये मुहब्बत के मसले 
पुराने शख्स पे नई गज़ले 

मुहब्बत में हम ये किससे मिले
चेहरे ना तब खिले न आज खिले

लगे ही रहे वो ख़ामोशी के मेले
जवाब कुछ सवालों के कभी न मिले

तेरे बाद हम ख़ुद से भी कहा मिले
आबाद है आज भी खुद की तलाश के सिलसिले

और ये हाथ कभी आंसुओ से नहीं मिले
बन चुके हैं मेरे रुमाल में मलाल के मोहल्ले ।

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18 Comments

Seema Priyadarshini sahay

22-Jun-2022 11:39 AM

बेहतरीन रचना

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Saurabh Patel

22-Jun-2022 05:21 PM

जी बहुत शुक्रिया आपका

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Pallavi

21-Jun-2022 05:21 PM

Nice post 😊

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Saurabh Patel

21-Jun-2022 09:26 PM

Thank you

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Arvaz Ahmad

20-Jun-2022 02:59 PM

Very nice

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Saurabh Patel

20-Jun-2022 04:26 PM

Thank you

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